|| श्री सत्यनारायण भगवान की कथा के उपरांत की आरती ||
|| श्री हरि ओ३म ||
|| जय श्री सीताराम सीताराम सीताराम ||
पहिले
आरती
पुष्प
की
माला, पुष्प
के
माला
हरिहर
पुष्प
के
माला, कालियानाग
नाथे कृष्ण गोपाला
हो ||१||
आरती
कीजे
राजा
राम
चन्द्र
जी
के,
हरिहर
भक्ति
करहि
संतन
सुख
दी
जे
हो!
दोसर
आरती
देवकी
नंदन, देवकी
नंदन
हरिहर
देवकी
नंदन,
भक्त
उबारे
असुर
निकंदन
हो ||२||
आरती
कीजे
राजा
राम
चन्द्र
जी
के,
हरिहर
भक्ति
करहि
संतन
सुख
दी
जे
हो!
तेसर
आरती
त्रिभुवन
मोहे, त्रिभुवन
मोहे
हरिहर
त्रिभुवन
मोहे,
गरुड़
सिंघासन
राजा
रामजी
के
सोहे
हो ||३||
आरती
कीजे
राजा
राम
चन्द्र
जी
के,
हरिहर
भक्ति
करहि
संतन
सुख
दी
जे
हो!
चौथे
आरती
चहुजुग
पूजा, चहुजुग
पूजा
हरिहर
चहुजुग
पूजा,
राम
नाम
तज़ी
और
न
दूजा
हो ||४||
आरती
कीजे
राजा
राम
चन्द्र
जी
के,
हरिहर
भक्ति
करहि
संतन
सुख
दी
जे
हो!
पंचम
आरती
राम
जी
के
भावे,राम
जी
के
भावे
हरिहर
राम
जी
के
भावे,
राम
नाम
भजे
परमपद
पावे
हो ||५||
आरती
कीजे
राजा
राम
चन्द्र
जी
के,
हरिहर
भक्ति
करहि
संतन
सुख
दी
जे
हो!
खसटम
आरती
लक्ष्मण
भ्राता, लक्ष्मण
भ्राता
हरिहर
लक्ष्मण
भ्राता,
आरती
उतारे
कौशल्या
माता
हो ||६||
आरती
कीजे
राजा
राम
चन्द्र
जी
के,
हरिहर
भक्ति
करहि
संतन
सुख
दी
जे
हो!
सप्तम
आरती
ऐसो
जैसो, ऐसो
जैसो
हरिहर
ऐसो
जैसो,
ध्रुव, प्रह्लाद, बिभीषन
जैसो
हो ||७||
आरती
कीजे
राजा
राम
चन्द्र
जी
के,
हरिहर
भक्ति
करहि
संतन
सुख
दी
जे
हो!
अष्टम
आरती
लंका
सिधारो, लंका
सिधारो
हरिहर
लंका
सिधारो,
रावण
मारी
बिभीषन
तारो
हो, ||८||
आरती
कीजे
राजा
राम
चन्द्र
जी
के,
हरिहर
भक्ति
करहि
संतन
सुख
दी
जे
हो!
नवमे
आरती
वामन
देवा
वामन
देवा
हरिहर
वामन
देवा,
बलि
के
द्वार
करब
हरी
सेवा
हो ||९||
आरती
कीजे
राजा
राम
चन्द्र
जी
के,
हरिहर भक्ति करहि संतन
सुख दी
जे हो!
जो राजा राम चन्द्र जी की आरती गावे,
आरती गावे हरिहर आरती गावे,बसी बैकुंठ परम पद पावे हो ||१०
कंचन थाल कपूर की बाती, कपूर की बाती हरिहर कपूर की बाती। जगमग ज्योत जले सारी राती हो॥
आरती कीजे राजा राम चन्द्र जी के,
हरिहर भक्ति करहि संतन सुख दी जे हो ||
तुलसी के पत्र कंठ मन हीरा, तुलसी के पत्र कंठ मन हीरा।
कंठ मन हीरा हरिहर कंठ मन हीरा, हुलासी हुलासी गाये दास कबीरा हो ||११
आरती कीजे राजा राम चन्द्र जी के,
हरिहर भक्ति करहि संतन सुख दी जे हो ||
तुलसी के पत्र कंठ मन हीरा, तुलसी के पत्र कंठ मन हीरा।
कंठ मन हीरा हरिहर कंठ मन हीरा, हुलासी हुलासी गाये दास कबीरा हो ||११
आरती कीजे राजा राम चन्द्र जी के,
हरिहर भक्ति करहि संतन सुख दी जे हो!
जो राजा राम चन्द्र जी की आरती गावे, आरती गावे हरिहर आरती गावे,बसी बैकुंठ परम पद पावे हो ||
आरती कीजे राजा राम चन्द्र जी के,
हरिहर भक्ति करहि संतन सुख दी जे हो!
हरिहर भक्ति करहि संतन सुख दी जे हो!
आरती
कीजे राजा
राम
चन्द्र
जी
के,
हरिहर भक्ति करहि संतन सुख दी जे हो!
हरिहर भक्ति करहि संतन सुख दी जे हो!
आरती कीजे राजा राम चन्द्र जी के,
हरिहर भक्ति करहि संतन सुख दी जे हो!
हरिहर भक्ति करहि संतन सुख दी जे हो!
|| जय श्री सीताराम सीताराम सीताराम ||
सियावर रामचंद्र जी की जय || पवनपुत्र हनुमान जी की जय ||
उमापति महादेव जी की जय || वृंदावन बिहारीलाल जी की जय ||
|| जय श्री सीताराम सीताराम सीताराम ||
|| हरि ओ३म तत् सत् ||